माता-पिता बनने की राह में सरोगेसी एक लोकप्रिय विकल्प बनता जा रहा है, विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर सकते। हालांकि, सरोगेसी केवल जैविक प्रक्रिया नहीं है; इसमें कानूनी मार्गदर्शन भी आवश्यक होता है ताकि यह प्रक्रिया पारदर्शी और सुचारू रूप से पूरी हो सके। यदि आप भारत में 2024 में सरोगेसी पर विचार कर रहे हैं, तो इस प्रक्रिया के कानूनी पहलुओं और सरोगेसी अनुबंध को समझना बहुत जरूरी है।
सरोगेसी क्या है?
सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक महिला (सरोगेट) किसी अन्य दंपति या व्यक्ति (इंटेंडेड पेरेंट्स) के लिए बच्चे को गर्भ में धारण कर जन्म देती है। सरोगेसी दो प्रकार की हो सकती है:
- पारंपरिक सरोगेसी: इसमें सरोगेट अपने स्वयं के अंडाणु का उपयोग करती है।
- गेस्टेशनल सरोगेसी: इसमें सरोगेट सिर्फ भ्रूण को गर्भ में धारण करती है, जिसे आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से माता-पिता या डोनर के अंडाणु और शुक्राणु से बनाया जाता है।
भारत में सरोगेसी की लोकप्रियता उन्नत चिकित्सा सुविधाओं और तुलनात्मक रूप से कम लागत के कारण बढ़ी है। लेकिन, यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई कानूनी और नैतिक पहलू शामिल होते हैं।
भारत में सरोगेसी के कानूनी पहलू
भारत में सरोगेसी कानून समय के साथ बदले हैं। पहले, भारत को “सरोगेसी हब” के रूप में देखा जाता था, लेकिन 2021 में सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 लागू होने के बाद व्यावसायिक सरोगेसी (Commercial Surrogacy) पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की मुख्य बातें:
✔ निःस्वार्थ (Altruistic) सरोगेसी:
- भारत में केवल निःस्वार्थ सरोगेसी की अनुमति है।
- सरोगेट को चिकित्सा और आवश्यक खर्चों के अलावा कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जा सकता।
✔ इंटेंडेड पेरेंट्स (अभिभावकों) की पात्रता:
- सरोगेसी केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध है।
- दंपति का कम से कम 5 साल से विवाहित होना अनिवार्य है।
- समलैंगिक जोड़े, सिंगल पैरेंट और विदेशी नागरिकों को सरोगेसी की अनुमति नहीं है।
✔ आयु सीमा:
- महिला: 23 से 50 वर्ष
- पुरुष: 26 से 55 वर्ष
✔ सरोगेट की पात्रता:
- सरोगेट केवल भारतीय नागरिक हो सकती है।
- उसकी उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- उसके पास पहले से एक जैविक संतान होनी चाहिए।
- वह जीवन में केवल एक बार सरोगेट बन सकती है।
✔ चिकित्सकीय और मानसिक परीक्षण:
- सरोगेट और इंटेंडेड पेरेंट्स को चिकित्सा और मानसिक परीक्षण से गुजरना अनिवार्य है।
✔ भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer):
- सरोगेसी के लिए उपयोग किया जाने वाला भ्रूण केवल इंटेंडेड पेरेंट्स या डोनर से प्राप्त किया जाना चाहिए।
सरोगेसी अनुबंध (Surrogacy Contract) का महत्त्व
सरोगेसी अनुबंध एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें सरोगेट और इंटेंडेड पेरेंट्स के अधिकार, जिम्मेदारियां और शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी जाती हैं। यह अनुबंध सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के अनुरूप होना चाहिए और कानूनी विशेषज्ञ द्वारा तैयार किया जाना चाहिए।
सरोगेसी अनुबंध में शामिल मुख्य बिंदु:
✔ सहमति और समझौता:
- अनुबंध में स्पष्ट होना चाहिए कि सरोगेट स्वेच्छा से इस प्रक्रिया में भाग ले रही है।
✔ चिकित्सकीय और वित्तीय व्यवस्थाएँ:
- अनुबंध में चिकित्सा खर्च, प्रसव पूर्व देखभाल, डिलीवरी और प्रसव के बाद की देखभाल के खर्च शामिल होने चाहिए।
✔ माता-पिता के अधिकार:
- जन्म के बाद, बच्चे पर केवल इंटेंडेड पेरेंट्स के अधिकार होंगे।
✔ गोपनीयता प्रावधान (Confidentiality Clause):
- सभी पक्षों की व्यक्तिगत और चिकित्सा जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा।
✔ विवाद समाधान (Dispute Resolution):
- किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में मध्यस्थता (Mediation) या कानूनी प्रक्रिया का प्रावधान रखा जाना चाहिए।
✔ वापसी की शर्तें (Withdrawal Clause):
- यदि सरोगेट भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer) से पहले हटना चाहे, तो उसकी अनुमति होगी।
इंटेंडेड पेरेंट्स और सरोगेट के लिए कानूनी विचार
✔ माता-पिता की कानूनी मान्यता:
- जन्म के बाद, इंटेंडेड पेरेंट्स को बच्चे की जन्म प्रमाणपत्र और नागरिकता दस्तावेज प्राप्त करने होंगे।
✔ सरोगेट के अधिकार:
- भ्रूण स्थानांतरण से पहले, सरोगेट को अनुबंध से हटने का अधिकार होता है।
- गर्भावस्था के दौरान, उसे चिकित्सा और वित्तीय सहायता मिलती रहेगी।
✔ संभावित कानूनी चुनौतियाँ:
- यदि सरोगेट बच्चे को अपने पास रखना चाहे या यदि इंटेंडेड पेरेंट्स किसी कारणवश बच्चे को न अपनाना चाहें, तो कानूनी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय सरोगेसी (International Surrogacy) को लेकर नागरिकता और कानूनी अधिकारों की समस्याएँ भी हो सकती हैं।
निष्कर्ष
भारत में सरोगेसी एक नियंत्रित और कानूनी रूप से संरचित प्रक्रिया बन चुकी है। यह कई दंपतियों को माता-पिता बनने का सपना पूरा करने का अवसर देती है, लेकिन इसके कानूनी पहलुओं को समझना अत्यंत आवश्यक है।
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
❖ क्या भारत में सरोगेसी कानूनी है?
✔ हां, लेकिन केवल निःस्वार्थ (Altruistic) सरोगेसी की अनुमति है।
❖ क्या विदेशी नागरिक भारत में सरोगेसी करा सकते हैं?
✖ नहीं, केवल भारतीय नागरिक ही सरोगेसी प्रक्रिया का लाभ उठा सकते हैं।
❖ सरोगेसी के लिए माता-पिता की आयु सीमा क्या है?
✔ महिला: 23 से 50 वर्ष | पुरुष: 26 से 55 वर्ष
❖ सरोगेसी अनुबंध क्यों आवश्यक है?
✔ यह सरोगेट और माता-पिता के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है और कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
❖ क्या सरोगेट माँ अपना फैसला बदल सकती है?
✔ हां, भ्रूण स्थानांतरण से पहले वह इस प्रक्रिया से हट सकती है।